5 Simple Techniques For shayari
5 Simple Techniques For shayari
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हम तन्हा तसल्ली से रहते है बेकार उलझाया ना करे !
1797 - 1869
इसी तथ्य के संदर्भ में ग़ालिब कहते हैं कि चूँकि अल्लाह की ज़ात प्राचीन है इसलिए जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो उसकी ज़ात मौजूद थी और जब कोई हस्ती मौजूद न रहेगी तब भी अल्लाह की ही ज़ात मौजूद रहेगी और चूँकि मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान के नूर का एक हिस्सा हूँ और मुझे मेरे पैदा होने ने उस पूर्ण प्रकाश से जुदा कर दिया, इसलिए मेरा अस्तित्व मेरे लिए नुक़्सान की वजह है। यानी मेरे होने ने मुझे डुबोया कि मैं कुल से अंश बन गया। अगर मैं नहीं होता तो क्या होता यानी पूरा नूर होता।
"तुझ पर निर्भर करता है कि तू अपने अंदर की कठपुतली को क्या किरदार बनाता है।"
ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब
ऐसा लगता है जैसे भूल रहा है कोई धीरे धीरे !
क्या है अथक कहानी का दिन, क्या है मेरी परछाई, तू है मेरा और तू है मेरी रानी।
دل دیاں گلاں shayri کرانگے نال نال بھ کے آکھ نال آکھ نُوں ملا کہ
छोड़ आते हो मझधार में नौका, मुझको डूबाना है क्या? और कहते थे मोहब्बत बहुत है, अब नफ़रत का इरादा है क्या?
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तुम ही तो हो मुझमे मैं खुद में कहाँ हूँ।
फौजी के आने की खबर सुनाने के लिए दिल तरसते हैं बार-बार।
फिर भी ये मोहब्बत अपने आप में ही कमाल है।
अपने साहस को ताकत समझ रण में जो तुम आए हो इसे व्यर्थ मत जाने देना।